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Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
रमते से राम फकीर, म्हारै बाबा याद रहोगे जी।
शीश महल के बीच।।
पाट पटाम्बर दाता गुदड़ी सिमा दुँ जी।
हीरे जड़ा दुँ वा के बीच।।
हीरे जड़ा दुँ वा के बीच।।
हम तो जानां थे दाता संग चलोगे जी।
छोड़ चले अध बीच।।
छोड़ चले अध बीच।।
कह कमाली कबीरा थारी बाली जी।
साधु हैं किस के मीत।।
साधु हैं किस के मीत।।
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