धन किसी का भी नहीं हुआ
इस जगती में है नहीं, धन काहू का मीत।
सावधान हो बावरे कर ईश्वर से प्रीत॥
चार आदमी अपने गाँव से किसी दूसरे गाँव को जा रहे थे।रास्ते में उन्हें अशर्फियों की एक थेली पड़ी मिली। चारों ने उस थेली को उठा लिया और एक बगीचे में बने मंदिर में जाकर उन अशर्फियों को बाँटने का विचार किया। चारों में से एक बोला बहुत भूख लग रही है। इसलिए हममें से दो आदमी पास के गाँव में जाकर पाँच रुपये की मिठाई ले आयें। मिठाई खाने के पश्चात् इन अशर्फियों का बँटवारा कर लेंगे। इस बहाने अशर्फियों के अचानक मिलने और उनको बाँटने का मिठाई खाने से सगुन भी हो जायेगा।
चारों ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। दो आदमी मिठाई लेने चले गये और दो आदमी मंदिर में बैठे रहे। मिठाई लेने गये दोनों आदमियों ने सलाह की मिठाई में जहर मिला दिया जाये। इससे मंदिर में बैठे दोनों आदमी मिठाई खाकर मर जायेंगे और हम दोनों उन अशर्फियों को आधा-आधा बाँट लेंगे। यह सोचकर उन्होंने मिठाई में विष मिला दिया। इधर मंदिर में बैठे दोनों साथियों ने परामर्श किया कि जब वे दोनों मिठाई लेकर पास आयें तब हम तुम इन बन्दूकों से गोली चलाकर उन दोनों को मार देंगे और इन अशर्फियों को आधा-आधा बॉट लेंगे।
जैसे ही वह दोनों मिठाई लिए आते दिखाई दिये तो इन्होंने उन पर बन्दूक से गोली चलाकर मार डाला। तब उन दोनों ने उनके पास आकर मिठाई का थैला उठा लिया और मिठाई खाने लगे। जैसे ही उन्होंने मिठाई खाई वैसे ही कुछ क्षण में ये दोनों भी स्वर्ग सिधार गये। वह अशर्फियों की थैली वहीं पड़ी रह गई।
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