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Kabir Ke Shabd |
कबीर के शब्द
हमारा पंथ है बांका, कहूँ निज नाम की शाखा।।
वहीं महबूब है खासा।।
के तनमन शीश ही देवै, नाम रस प्रेम का पीवै।
यही है मुक्ति का नाका।।
हम बिन और नहीं कोई, दूसरा संग ना होइ।
किया है महल में वासा।।
घीसा सन्त ही कहते, शब्द कोई सन्तजन लहते।
अजब एक रूप का झांका।।
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